झाविमो केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल ने पार्टी कमेटी को किया भंग, मरांडी हुए पार्टी पुनर्गठन को अधिकृत

झाविमो केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल ने पार्टी कमेटी को किया भंग, मरांडी हुए पार्टी पुनर्गठन को अधिकृत


रांची /  झारखंड विकास मोर्चा प्रजातांत्रिक के केंद्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रविवार को पार्टी की कमेटी को भंग कर दिया है। चुनाव बाद हुए पहली कार्यसमिति की बैठक में मरांडी ने इस आशय का प्रस्ताव लाया। जिसका प्रदीप यादव ने विरोध किया और कहा कि संविधान के अनुसार पार्टी भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है। बाद में सर्वसम्मति से पूरी कार्यसमिति ने मरांडी को नए सिरे से पार्टी पुनर्गठन के लिए अधिकृत कर दिया। अब बाबूलाल मरांडी 14 के बाद पार्टी का पुनर्गठन करेंगे। यह जानकारी बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग में पार्टी के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह ने दी।


बाबूलाल मरांडी के भाजपा में जाने एवं पार्टी का भाजपा में विलय के सवाल पर अभय सिंह ने कहा कि झाविमो के गठन के बाद से ही जब भी चुनाव आता है तो ऐसी बातें सामने आने लगती है। मगर सच्चाई सबके सामने आ जाती है। पूरी पार्टी एकजुट है। पार्टी के पुनर्गठन के बाद नए सिरे से संगठन को खड़ा करके पार्टी मैदान में उतरेगी। उन्होंने कहा कि जनता ने जो जनादेश दिया है, उसका पार्टी सम्मान करती है।


मरांडी के प्रस्ताव पर प्रदीप यादव ने उठाए सवाल
बैठक में बाबूलाल मरांडी के कमेटी भंग किए जाने के प्रस्ताव पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि नए अध्यक्ष पार्टी संविधान के अनुसार गत 25 सितंबर को निर्वाचित हुए हैं। पार्टी संविधान में कमेटी भंग करने जैसी कोई बातें नहीं है। केंद्रीय अध्यक्ष केवल कमेटी का पुनर्गठन कर सकते हैं। उन्होंने बाद में मीडिया के किसी भी सवालों का जवाब नहीं दिया, केवल इतना कहा कि सभी तरह के कयासों का जवाब केंद्रीय अध्यक्ष ही दे सकते हैं।


बंधु तिर्की ने लगाया मनमाने ढंग से टिकट वितरण का आरोप
बैठक में बंधु तिर्की ने कहा कि उन्हें पार्टी ने दक्षिणी छोटानागपुर के प्रभारी का जिम्मा दिया था। किसी कारण वे जेल में भी रहे। मगर कम से कम क्षेत्राधिकार में आने वाले सीटों पर टिकट बंटवारे में तो उनकी राय ली जानी चाहिए थी। मगर नहीं लिया गया। मनमाने ढंग से टिकट दिया गया, जिसका खमियाजा पार्टी का उठाना पड़ा है।


चुनावी परिणाम पर रिपोर्ट लिखित रूप से देने का निर्देश
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि एक बैठक में पूरी चुनावी समीक्षा करना संभव नहीं है। इसलिए सभी प्रत्याशी एवं जिलाध्यक्ष चुनावी परिणाम पर अपनी-अपनी रिपोर्ट लिखित रूप से दें, वे सभी रिपोर्ट को देखेंगे और आगे का निर्णय लेंगे।