हेमंत ने दिया पार्टी पर कंट्रोल का संदेश, अपने दल से एक भी मंत्री नहीं बनाया; राजद के एकमात्र विधायक को दिलाई शपथ
रांची / झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्रकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने रविवार को झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण किया। उनके साथ ही कांग्रेस के दो व राजद के एक विधायक को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। हेमंत सोरेन के अलावा झामुमो के किसी भी विधायक को आज मंत्री पद की शपथ नहीं दिलवाई गई। राजनीतिक जानकारों की मानें तो हेमंत सोरेन ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सहयोगी दलों के साथ एक जुटता है, गठबंधन मजबूत है। साथ ही झामुमो से कोई मंत्री नहीं बनाने से हेमंत को आत्मविश्वास है कि उनकी पार्टी के विधायक इससे नाराज नहीं हाेंगे।
झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन (झामुमो, कांग्रेस व राजद) ने 47 सीटों पर जीत हासिल की। झामुमो को 30, कांग्रेस को 16 व राजद को 1 सीट पर जीत मिली। बहुमत मिलने के साथ ही यह तय हो गया कि महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हेमंत सोरेन ही अगले सीएम होंगे। इसके बाद शुरू हुई मंत्री पद और स्पीकर के लिए खींचतान शुरू हुई। हेमंत सोरेन के आवास पर सभी विधायकों और पार्टी के बड़े नेताओं का जुटाना शुरू हो गया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, उप मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और मंत्री पदों को लेकर झामुमो और कांग्रेस के बीच शनिवार देर रात तक खींचतान चलती रही। इस कारण मंत्रिमंडल का स्वरूप तय नहीं हो पाया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ कांग्रेस के आलमगीर आलम व डॉ. रामेश्वर उरांव ने मंत्री पद की शपथ ली। वहीं, राजद के एक मात्र सत्यानंद भोक्ता चतरा से विधायक चुने गए। हेमंत सोरेन ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है। सत्यानंद भोक्ता इससे पहले भी दो बार मंत्री रह चुके हैं। जबकि, आलमगीर आलम विधानसभा अध्यक्ष व डॉ. रामेश्वर उरांव मनमोहन सिंह सरकार के तहत पहली कैबिनेट में एक आदिवासी मामलों के मंत्री और दूसरी पारी की सरकार में वे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
कहीं ना कहीं खींचतान है
वरिष्ठ पत्रकार और झारखंड की राजनीति के जानकार जीतेंद्र कुमार ने बताया कि हेमंत सोरेन ने पहली बार आधाअधूरा मंत्रिमंडल का गठन कर जनता के बीच अच्छा संदेश देने में विफल हुए हैं। राज्य गठन के बाद 20 सालों में पहली ऐसी सरकार बनी है, जिसे सबसे अधिक 50 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। अधूरा मंत्रिमंडल के गठन से जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि कांग्रेस और झामुमो में मंत्रीपद, उनके विभाग, स्पीकर और डिप्टी सीएम जैसे पदों को लेकर कहीं ना कहीं खींचतान है। क्योंकि, हेमंत सोरेन के पास वर्तमान में किसी भी दल के भाग जाने या टूट जाने का कोई खतरा नहीं है। वहीं, हेमंत के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी, गैरआदिवासियों के बीच गलत संदेश ना जाए और कांग्रेस के साथ संतुलन बना कर चलना।
मंत्रिमंडल के गठन को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं: झामुमो
झामुमो के केंद्रीय महासचिव व प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि मंत्रिमंडल के गठन को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं है। फिलहाल इतने ही मंत्री बनाने का निर्णय हुआ है। जल्द ही सभी लोग बैठकर इसे तय कर लेंगे।